Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -11-Mar-2023 अंधविश्वास

शांति के अंधविश्वास से पूरा गांव और उसका पति परिचित था। शांति अपने पति और बेटे सनी के साथ माता के प्राचीन मंदिर माता की पूजा और दर्शन करने जाती है। 


मंदिर में कहीं शांति की तांबे की अंगूठी खो जाती है। और प्राचीन मंदिर में घूमते हुए अचानक वैसी ही तांबे की अंगूठी गुलाबी कागज में लिपटी हुई, शांति को पा जाती है। शांति का पति शांति से कहता है कि "देखा माता ने पुरानी अंगूठी के बदले तुम्हें नई तांबे की अंगूठी दे दी है।" शांति जैसे ही उस तांबे की अंगूठी को उंगली में पहनती है, तो जिस पेड़ के नीचे वह अपने पति के साथ खड़ी हुई थी, तो उस पेड़ से तेज हवा चलने की वजह से फूल पत्ते झड़ कर उसके ऊपर गिरने लगते हैं। और अंगूठी मिलने और पतझड़ की घटना को जोड़कर उसे अपने पति की बात पर पक्का यकीन हो जाता है कि माता रानी ने खुश होकर उसे पुरानी तांबे की अंगूठी के बदले नई माता की शक्ति वाली तांबे की अंगूठी दी है।उस दिन के बाद उस तांबे की अंगूठी से शांति की आस्था हद से ज्यादा बढ़ जाती है। 

उस दिन के बाद वह अंगूठी को पहने बिना कोई भी कार्य नहीं करती थी। शांति के पति को पीलिया हो जाता है। गांव का डॉक्टर जब देखता है कि शांति के पति की हालत ज्यादा बिगड़ती जा रही है तो वह शांति से कहता है कि "इनको शहर के बड़े अस्पताल ले जाओ। घर पर पड़े पड़े इनकी जान को खतरा हो सकता है।"

 लेकिन शांति शहर के बड़े अस्पताल ले जाने की जगह वह तांबे की अंगूठी अपने पति की उंगली में पहना देती है। शांति को तांबे की अंगूठी मे इतनी ज्यादा आस्था थी कि उसे पक्का यकीन था, कि एक दिन मेरे पति की पीलिया की बीमारी बिल्कुल ठीक हो जाएगी।

 और फिर एक दिन शांति के पति की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के समय शांति के पति ने तांबे की अंगूठी नहीं पहन रखी थी, इसलिए शांति को और पक्का यकीन हो जाता है कि तांबे की अंगूठी ना पहनने की वजह से मेरे पति की मृत्यु हुई है।

 शांति का बेटा सनी अपनी मां को बचपन से देखता आ रहा था, कि मां तांबे की अंगूठी के बिना कोई भी कार्य नहीं करती है, इसलिए उसकी भी आस्था उस तांबे की अंगूठी पर मां जैसी ही बढ़ गई थी।

 शांति सनी की शादी बहुत धूमधाम से तनु नाम की लड़की से करती है। तनु को पति सास का भरपूर प्यार मिलता है, लेकिन जब भी उनके घर में झगड़े होते थे, तो उस तांबे की अंगूठी के प्रति सास और पति की हद से ज्यादा आस्था की वजह से होते थे, क्योंकि तनु आस्तिक तो थी लेकिन उसे झूठे अंधविश्वासों से बहुत नफरत थी।

 नवरात्रि के दिनों में तनु अपनी सास शांति और पति के साथ उसी प्राचीन माता के मंदिर में जाती है, जहां उसकी सास शांति को पुरानी तांबे की अंगूठी के बदले नहीं तांबे की अंगूठी पाई थी। और प्राचीन मंदिर में माता से प्रार्थना करती है कि माता रानी हमारे घर से इस तांबे की अंगूठी के अंधविश्वास को कैसे भी करके खत्म कर दें। 
सनी मंदिर के बाजार से अपनी पत्नी तनु  को एक लाल रंग की साड़ी खरीद कर देता है। सनी अपनी मां और पत्नी के साथ प्राचीन माता के दर्शन करके घर वापस आ रहा था, तो अचानक मां से बातें करते करते सूखे कुएं में गिर जाता है।वह कुंआ जहरीले सांप बिच्छू से भरा पड़ा था।

सनी आवाज लगा कर मां से कहता है कि "मां मुझे यहां जहरीले सांप और बिच्छू काट लेंगे जल्दी से वही तांबे की अंगूठी कुए के अंदर फेंक दो।" शांति जल्दी से अपनी उंगली से वही तांबे की अंगूठी उतारकर कुए में सनी की तरफ फेंक देती है। अंगूठी कुए के अंदर झाड़ियों और छोटे पौधों के बीच में कहीं गुम हो जाती है। और जैसी सनी छोटे-छोटे पौधे कूड़े के ढेर और छोटी गाड़ियों को हटाकर तांबे की अंगूठी ढूंढने लगता है, तो सांप बिच्छू पौधे झाड़ियों कूड़े करकट की सरसराहट की आवाज से उसे काटने के लिए उसकी तरफ बढ़ने लगते हैं।

 सनी आवाज लगा कर मां पत्नी से कहता है कि "जल्दी से कैसे भी करके मुझे बचाओ।" तब तनु जय माता दी कहकर जो साड़ी सनी ने माता के मंदिर के बाजार से खरीद कर तनु को दी थी, तनु उस साड़ी का एक छोर पकड़ कर कुएं में फेंक देती है। और दोनों सास बहू एक तरफ से साड़ी को पकड़कर सनी को बाहर खींच लेती है।

 सनी के कुए से सही सलामत बाहर आने के बाद शांति अपने बेटे सनी से कहती है कि इस अंगूठी पर हद से ज्यादा आस्था की वजह से मेरे पति की जान चली गई। और आज इस अंगूठी के कारण मेरे बेटी की जान खतरे में पड़ गई थी। लेकिन मेरी बहू की माता पर आस्था की वजह से माता के मंदिर से खरीदी लाल रंग की साड़ी की वजह से मेरे बेटे की जान बच गई। इसलिए मेरी तांबे की अंगूठी पर आस्था गलत थी। और मेरी बहू की माता पर आस्था बिल्कुल सही है।

 शांति और सनी उस तांबे की अंगूठी को कुएं में ही पड़ छोड़कर खुशी-खुशी अपनी बहू के साथ घर चले जाते हैं।

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10 Comments

sunanda

14-Mar-2023 05:00 PM

nice

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बेहतरीन

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